Uttar Pradesh: मरीजों को कम कीमत पर दवा उपलब्ध कराने के दावों पर फिर रहा पानी, दवाई कंपनियां खेल रहीं खेल

डीएन ब्यूरो

यूपी सरकार जहां एक ओर मरीजों को सस्ती दरों पर जरूरी दवाएं उपलब्ध कराने के दावें कर रही है। वहीं दूसरी ओर दवा निर्माता कंपनियां अलग ही खेल खेल रही हैं। दवा कंपनियों द्वारा की जा रही इस मनमानी से यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह अनजान दिखें। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर...



लखनऊः मरीजों के बीच अधिक खपत वाली दवाओं के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाए जा रहे हैं और इसका कोई पुरसाहाल लेने वाला नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हर 4-6 महीने में ज्यादा डिमांड वाली दवाओं के बैच नम्बर बदलकर उनका रेट बढ़ा दिया जाता है। जिससे दवाओं के दाम लगभग 10 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। वहीं दवा कंपनियों के इस खेल के कारण थोक और फुटकर दवा विक्रेताओं की ब्रिकी पर भी असर पड़ता है। अगर किसी को एक हफ्ते की दवा चाहिये तो वह 5 दिन की ही दवा खरीदता है और जब वह दोबारा दवा लेने आता है तो उसे वहीं दवा बढ़े दाम पर लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

दवाई की दुकानें

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दवा की कीमत तय करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण का है। यहां पर दवा बनाने वाली कंपनिया जीएसटी, कच्चे माल की बढ़ी कीमतें और ट्रान्सपोर्टेशन का हवाला देकर कीमतें बढ़ाने के लिए कहती है। दवा कंपनिया के इस खेल को लेकर दवा कारोबारियों का कहना है की इन दिनों मार्केट में कई छोटी नई दवा कंपनिया आ गई हैं। ये लगातार बैच नम्बर बदलकर कीमतें बढ़ाती रहती हैं। साथ ही कुछ छोटी दवा कंपनिया कम उत्पादन का हवाला देकर भी बार-बार बैच नम्बर बदलकर दाम बढ़ाती रहती हैं। लखनऊ के दवा बाजार में जिस दवा की मांग ज्यादा रहती है। उस दवा का बैच नम्बर भी उतना ही जल्दी आ जाता है।

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दवाओं की बढ़ती कीमतों को लेकर बात करते हुए यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा दवाओं की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदेश भर में 65 जिलों में दवाओं के भंडारण की व्यवस्था की गई है। साथ ही इस बारे में दवा कंपनियों से बातचीत कर दवाओं की कीमतों पर लगाम लगाने का प्रयास किया जायेगा।










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